मानसिक रोग और अन्धविश्वास -स्वास्थ्य जागरूकता 

 Mental illness and superstition -health awareness

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भारत में दूसरे प्रकार की बीमारीयो मे मानसिक रोगो में अंधविश्वास ज्यादा मात्रा में देखने मिलता है। मानसिक बीमारीयो को लोग भगवान के शापरुप की तरह देखते है। सचमुच में ये वास्तविक नही है जैसे दूसरे रोग होते है वैसे मानसिक रोग भी शारीरिक विकलांगता क्षति के तरह होता है। जैसे कि डीप्रेशन होनेके पीछे दिमागमें होनी सीरोटोटीन और मोर एपीनेफीन की कमी जिम्मेदार होती है। इस तरह पागलपन या स्कीझोफेनिया डोयामीन की कमी जिम्मेदार होती है। इस तरह पागलपन या स्कीझोफेनिया डोयामीन की कमी से होता है।
     दूसरी सामान्य मान्यता ऐसी है कि मानसिक बीमारीयों भूत पिशाच कि जन्नाद के शरीरमें प्रवेश करने से होता है और उसके लिए भूवा मौलवी अथवा तांत्रिककी सलाह लेनी चाहिए लेकिन सचमुच मानसिक बीमारी उपयुक्त कारणो से होती है और वह मानसिक रोग के निष्णात डोक्टरकी देखभालसे (इलाजसे) दूर होती है।

कई लोग ऐसा मानते है कि मानसिक बीमारी अपने दिमागकी ही उपज है और उसकी कोई दवा नहीं है वह तो बिचारो पर संयम रखनेसे मिट जाता है। यह मान्यता भी गलत है। मानसिक बीमारी निश्चित शारीरिक कारणोसे होती है और विचार रोकनेके लाखो प्रयत्न से भी नही रोकते वह दवाईयों से रोक दिया जाता है।
इसीटी लेने से दिमाग के ज्ञानतंतुओ नष्ट होते है और बीजप्रवाह दिमाग में निकम्मा बना देते है ऐसी मान्यता भी गलत है। इसीटी यही अभी उत्तम इलाज है इससे कोई भी नुकसान नहीं होता और वह 3 से 5 इसीटी का कोर्स पूर्ण होने के बाद किसीको पता भी न हो ऐसी व्यकितओ इसीटी दिये है।

      मानसिक रोग को लोग शापरुप समजते है और डोक्टरको बताने या मानसिक रोग के डोक्टर को मिलने जाने मे भी हिचकिचाट का अनुभव होता है। इसके संदर्भ में ऐसा कहा जाए कि मानसिक बीमारी की जानकारी होते ही नजदीक के मानसिक रोग के डोक्टर को बताना चाहिए। यदि उसका समयपर उपचार किया जाए तो मानसिक बीमारी अवश्य ही  मिट जाती है।

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