सर का दर्द,  सर दर्द  के  कारण और माइग्रेन - मनोचिकित्सक

Causes Of Headache And Migraine
Headache, Causes Of Headache And Migraine - Psychiatrist

 

Headache, Causes Of Headache And Migraine - Psychiatrist

सर का दर्द-Headache

सर के दर्द में अनेक कारण होते है। हर सो मे से 70 से 80 इन्सानो को कभी कभी सर दर्द की शिकायत रहती है। इसमें से 10 से 20 प्रतिशत लोगो को रेग्युलर सरदर्द की शिकायत रहती है। ये सरदर्द के अनेक प्रकार और कारण होते है।

ये सभी कारणो में मानसिक कारण सबसे ज्यादा देखने मिलता है। इस प्रकार में सामान्यतः सर भारी भारी रहता है। सर में और शरीर में जलन होती है। साथ साथ हताशा, निराशा, चिंता, टेन्शन, व्याकुलता, उल्टी आदि की शिकायत रहती है। सायकोलोजीकल सर के दर्द में सर में लबके या झटके आने भी सर पर ज्यादा भार रखा हो ऐसा लगता है दूसरा की इस प्रकार के सर के दर्द में दर्द हमेशा लगातार रहता है। वो चढ उत्तर नही
करता । लगातार सर पर भार रहता हो ऐसा लगता है। काम काज नही सुझता, सर पर बोज हो ऐसा लगता रहता है।

     कुछ काम करने कीईच्छा नही होती । कंटाला ज्यादा आता है और लगातार सिर की तरफ ही ध्यान रहता है।
कईबार तो सर बहुत ज्यादा दु:खता है वो फट जाए ऐसा लगता है। सर पक गया हो ऐसा लगता है और सर को छूने से या दबाने से भी दर्द होता है।

      सर दुःखने के दूसरे कारणो में सर की चोट जिसमें चोट के कुछ दिनो के बाद सर  दुःखता है। ब्रेईन ट्युमर यानि दिमाग की गांठ जिसमें सर दु:खता है, उल्टी होती है इसके अलावा शरीर के कुछ हिस्से मे बेहराश या झनझनाटी आती है। कई बार एक हाथ या एक पैर या सिर्फ एक अंग का लकवा होता है। सर दुःखने का तीसरा कारण दिमाग की नसे लोक होने से या दिमाग मे हेमरेज होने से होता है लेकिन ये एक बहूत गंभीर बिमारी होने से होता है लेकिन ये एक खुब गंभीर बिमारी है और उसका समय ज्यादा कम होता है और मरीज को जल्दी अस्पताल ले जाकर उसका ईलाज उचित होता है।

सर दुःखने का निश्चित कारण माईग्रेईन है। ये माईग्रेईन खूब सामान्य बिमारी है वो बहत लोगो में होती है। वो बहूत ही समय माग ले ऐसी है। उसकी चर्चा हम अगले अंक मे करेंगे।

सिर दुखने का अन्य एक कारण आँखो के नंबर हो शकते है। जीस में ऑख के लगातार तनाव के कारण सर दु:खता है । इसके लिए ऑखके नंबर चेक करवाने जरुरी है ।  इस प्रकार से सर दु:खने के अनेक कारण हो सकते है।

 सर दर्द  के कुछ कारण-Causes Of Headache

         सामान्यतः लम्बे समय से सर दु:खने के अनेक कारण होते है। उसमें मानसिक रोग ज्यादातर कारणभुत होते है। डीप्रेशन के मरीजो में इस प्रकार की शिकायत ज्यादा प्रमाण में देखने को मिलती है। खास करके इस प्रकार के मरीजो में सर भारी रहने की शिकायत होती है और वो लगातार भारी रहता है। यानि उसमें चढाव उतार खास करके नही आता । उसके कारण मरीज खास करके नही आता । उसके कारण मरीज खुब परेशान और व्याकुल होता है।
        उसका मन लगातार सर के भार की तरफ होता है। इसके कारण वो उदास रहते है, दिमाग शक्ति कम हो गई हो ऐसा महसूस करता है, वे डोक्टर से बिनंति करते है कि कुछ भी करके सर पर का भार दूर करके ऐसे मरीजो को सर आगे या पीछे के हिस्से मे पकडा हुआ रहता है और कई बार सारा सर पकडा रहता है। कुछ मरीजो के साथ सर गरदन के पीछवाडे के हिस्से में और पीठ के हिस्से में दर्द या जलन महसूस होती है। इसी प्रकार के चिन्ह एन्कझाइरी डीसओर्डर मे भी देखने मिलते है। उसके साथ दूसरे लक्षण जैसे की डर, भय,धबराहट, मुँह सुखना, कोई कामकाज न सुझना, कोई प्रवृति मे मन न लगना, शोर के प्रति नफरत होनी, बच्चो पर और दूसरो पर गुस्सा आना, स्वभाव क्रोधीला बन जाना आदि बहुत सामान्यतः देखने मिलते है।

           दूसरे प्रकारका सर दुःखने का कारण माईग्रेईन या सादी भाषामें उसे आधासीसी के नाम से पहचाना जाता है। आधाशीशी में आधा सर (दाई या बाई तरफ का) दु:खने की शिकायत होती है। सर झबकारे मारकर दु:खता है। कई बार सर फट जाए ऐसा लगे ऐसी असह्य वेदना सर मे होती है। धबराहट और कईबार उल्टी या सामान्य उबके आने की शिकायत मरीज को होती है। इस प्रकार के सर के दर्द हर हफ्ते, दो-तीन दिन में या महिने मे दो-तीन बार आते है और वो कई बार गोली लेने से या कई बार अपने आप एकाद दिन या उस से कम ज्यादा समय लेती है। कुछ मरीजो की नाक में से पानी आता है। आँख लाल होती है तो कुछ मरीजो को उल्टी होने के बाद दर्द में राहत महसूस होती है।

सर दर्द के दूसरे कुछ कारणो में आँखो के नंबर, नाक और उसके आसपास के छेदो में शरदी भर जानी, नाक का पडदा टेढा होना, दांत की सडन, कान मे से रसी आनी, गले मे चेप होना । आदि हो सके।

कईबार आधा सर और आधा चेहरा दुःखने की शिकायत कुछ ट्राईजेमीनल न्युराल्यना के मरीजो में देखने मिलती है। इस प्रकार के मरीजो में एक तरफ से दाढो में दर्द होता है। उस तरफ की ऑखे दु:खती है और उस हिस्से के चेहरे में करेह के झमकारे की जैसे तेज दर्द होता है। उसके पीछे का कारण दिमाग की पांच में नंबर की नस पर का दबाव होता है। ऐसे सर दर्द के अनेक कारण होते है। उसमें से योग्य कारण ढुढकर उसका इलाज करना हितावह है।

माइग्रेन(आधाशीशी)-Migraine

    माइग्रेन को सामान्यत: आधाशीशी के नाम से पहचाना जाता है। समाज में रोग का प्रमाण 10 से 15 प्रतिशत इन्सानो मे देखने मिलता है। स्त्रीओ मे पुरुषो से इसका प्रमाण ज्यादा होता है। माइग्रेन यानी दिमाग का दर्द इस दर्द के सामान्य लक्षण नीचे प्रमाणे होते है।

     सामान्यत: इन्सान कंटाला हुआ हो, यात्रा की हो, बहुत ज्यादा कार्य किया हो, फिर कुछ खाने मे आया हो, इसके बाद इसके लक्षण दिखाई देते है। इस दर्द के हमले की शुरुआत में आंखोमें से धुंधला या रंगो के धब्बे दिखते है। थोडी देर के बाद सर दु:खने का शुरु होता है। ये सर का दर्द एक तरफ से आधा सर का दर्द शुरु होता है और फिर धीरे धीरे दोनो तरफ का यानि पूरा सर दर्द करना शुरु होता है। कई बार तो शुरुआत से ही पुरा सर दु:खता है। कई बार सिर्फ सर का आगे का या पीछे का हिस्सा ही पकडाता है।

     शुरुआत मे सर का दर्द धीमा होता है लेकिन जैसे जैसे मिनट या घंटे पास होते है वैसे वैसे दर्द की तीव्रता बढ़ती है। सामान्यत: इसे थोबींग हेडेक कहा जाता है यानि इस प्रकार के सर दर्द मे सर लबके मारता है या सर मे झटके आते है। दर्द की तीव्रता बहुत ही असह्य होती है। मरीज इसके लिए सर दबाता है, बंद कमरे मे सो जाता है, बाम धिसता है, दर्द  की गोलीयों लेता है लेकिन दर्द मे कुछ खास फर्क नही पडता ।

     सर ज्यादा दु:खता है तो घबराहट होती है। कई बार तो उल्टी या उबके आने लगते है। कई बार उबके आते है कुछ। इन्सानो को उल्टी हो जाती है। ये उल्टी होने के कुछ समय बाद सर के दर्द में राहत । महसुस होती है। ये सर के दर्द का हमला कई बार एकाद - दो घंटे तक चलता है और कल इन्सानो को तो एक-दो दिन दु:खने के बाद ही राहत होती है। हमला खत्म होने के बाद मरीज एकदम सामान्य लगता है। जैसे कि उसे कुछ भी तकलीफ नही है।

    ये दर्द के हमले आने का समय अलग अलग इन्सानो मे अलग अलग होता है। इन्सान हफ्ते मे दो-तीन बार तो कुछ इन्सानो में महीने मे 1, 2 या 3 बार ऐसे दर्द के हमले आते है। सामान्यत: दो हमले के बीच के समय मे मरीज बिलकुल स्वस्थ होता है, जैसे की उसे कोई बिमारी ही नही है।

      ऐसे माइग्रेन के मरीजो के लिए योग्य मनोचिकित्सक से मिलना योग्य होता है। कुछ दवाईयाँ से य हमला बैठ जाता है और दवाई चाल रखने से बार बार ऐसे हमले नही आते दवाई के अलावा अन्य परहेज रखने जैसी बातो में मरीज को हमले समय बंद कमरे में अंधेरा करके सो जाना - जाना चाहिए। आसपास की आवाज या शोर कम हो और अंधेरा हो ऐसी जगह म आराम करना चाहिए और डोक्टर ने बताई हुई गोलीयों नियमित कुछ दवाईयों से ये हमला लेनी चाहिए ।

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